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Sunday, March 9, 2008

शब्दों से मिलकर भी अधूरे रहते हैं शब्द

शब्दों मे सार्थकता शब्दों ने खोजी

शब्दों मे निरर्थकता शब्दों ने पाई

शब्दों की सार्थकता को शब्दों ने समझा

शब्दों की निरर्थकता को शब्दों ने झेला

शब्दों से मिलकर भी अधूरे रहते हैं शब्द

4 comments:

Anonymous said...

Short and Beautiful poem.

Kavi Kulwant said...

It reflects.. you..
lekin shabdon se hi purnata bhi aati hai..

राकेश खंडेलवाल said...

शब्द अक्षम रहे, शब्द में बाँध कर अपने मन की व्यथा को सुनायें कभी
भावनायें उमड़ती हुई शब्द की, शब्द में ढाल कर गुनगुनायें कभी
छटपटाते रहे अपने अस्तित्व के इस अधूरे सॄजन पर सदा रात दिन
हैं प्रतीक्षित रहे कोई कारण बने, प्राप्त कर पायें ये पूर्णतायें कभी

Satish Saxena said...

बहुत बढ़िया !